25 June 2015

क्यों सात बार राई वारने से उतर जाती हैं नजर


क्यों सात बार राई वारने से उतर जाती हैं नजर ?

     मित्रों अक्सर हम सुनते है कि जब किसी को नजर लग जाती है तो उसे कहते हैं कि अपनी मुट्ठी में राई लेकर अपने सिर से सात बार वार कर फेंक दो। क्या राई को सात बार वार देने क्या नजर उतर सकती हैं ? आइये इसके पीछे क्या विज्ञान काम करता हैं समझने का प्रयास करते हैं।

     मित्रों अक्सर आप देखते होंगे की राई को जब किसी प्लास्टिक बेग से निकालते हैं तो राई उस प्लाष्टिक बेग से चिपक जाती हैं। वो उसके चुम्बकीय गन के कारण होता हैं। हालाँकि संसार की सभी चीजों में अपना एक चुम्बकीय गुण होता हैं पर राई में घर्षण से उसका चुम्बकीय गुण जल्दी सक्रिय हो जाता हैं जिसके चलते ये जल्दी ही किसी के औरा के संपर्क में आकर उसके नकारत्मक फिल्ड को अवशोषित कर लेती हैं।

     जब राई को सात बार हमारे शरीर पर से वारा जाता हैं तब इसका संपर्क हमारे शरीर के आभामंडल से होता हैं, जिसे हम सुरक्षा चक्र भी कहते हैं। राई के लगातार हमारे आभामंडल से टकराने से इसका चुम्बकीय गुण सक्रीय होकर हमारे शरीर के सातों चक्रों में फैली नकारात्मकता को सोख लेता हैं। सात बार वारने का मतलब हमारे सूक्ष्म शरीर के सातों चक्रों का शुद्धिकरण करना होता हैं। सात बार राई को वारने के बाद उसे घर से कुछ दूर नाली में फेंक दिया जाता हैं या जलाकर नष्ट कर दिया जाता हैं।

     मित्रों वैसे आभामंडल के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इसके लिए साधारण तौर पर इतना बता देता हूँ कि आभामंडल हमारे शरीर का सुरक्षा चक्र होता हैं। जब ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अच्छी-बुरी दशा चलती हैं तो उसका सबसे पहला प्रभाव हमारे आभामंडल पर ही पड़ता हैं। पर अगर हम किसी अच्छी संगत, अच्छे विचार या किसी ज्ञानी गुरु के संपर्क में हो या किसी भगवान् में हमारी आस्था बहुत मजबूत हो तो ग्रहों के बुरे प्रभाव की रश्मियाँ हमारे उस आभामंडल यानी सुरक्षा चक्र का भेदन करने में कामयाब नही होती। इसलिए जो लोग निरंतर सत्संग करते हैं, सकारात्मक विचारों के संपर्क में रहते हैं ऐसे पुण्यशाली लोगों पर ग्रहों, टोने-टोटके और नजर इत्यादि का बुरा प्रभाव आसानी से नही पड़ता। और न ही कोई नकारात्मकता उनके आभामंडल को भेद पाती हैं।

     मित्रों ऐसे कई सारे टोटके इत्यादि है जिन्हें हम अंधविश्वास का नाम देकर नजर अंदाज कर देते हैं। क्योंकि हमें इनके गर्भ में छूपे सिद्धांत का पता नहीं होता।

(वैसे मित्रों कलयुग के चलते सदियों से चलती परम्पराओं के साथ आजकल कुछ बेतुके अंधविश्वासों का जन्म भी हो गया हैं जिनसे हमें सावधान रहने की जरुरत हैं। बिना वैज्ञानिक अर्थ के किसी बात को मान लेना मात्र मूर्खता के अलावा और कुछ नहीं)


       Astrologer & Philopher
            Gopal Arora
 









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