26 February 2015

सापेक्षता के नियम को समझें।


     सापेक्षता का नियम समय के संदर्भ में भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।  समय वही रहता है, बस हमारा नजरिया बदल जाता है।  आपने खुद देखा होगा, जब बच्चे जब कार्टून देखते है, तो उन्हें भूख-प्यास का एहसास ही नही होता, उन्हें पता ही नही चलता कि कब दो घंटे गुज़र गए।  दूसरी ओर, जब बच्चे पढ़ते है, तो उन्हें सौ काम याद आ जाते है और पंद्रह मिनिट में उन्हें ऐसा लगता है कि बहुत समय हो गया। यह सापेक्षता के नियम के कारण होता है। 

     अपना प्रिय और मनपसंद काम करते समय आपको समय का एहसास ही नही होता, क्योंकि तब आप लय होते है, जिसे मनोवैज्ञानिक फ़्लो में रहना कहते है।  इस समय आप जो काम करते है, वह सहज ही बेहतरीन होता है, क्योंकि आप बिना कोशिश किए सर्वश्रेष्ठ कार्य करते है।  बेहतर यही कि आप सापेक्षता के नियम को ध्यान में रखकर अपने काम को दिलचस्प बनाने के तरीक़े खोजें, ताकि आप लय में काम कर सकें।  अपने सबसे महत्त्वपूर्ण काम को दिलचस्प बनाए और दिलचस्प मानिए। 

मान लीजिए कि आप सेल्समेन है और आपको अपने काम से नफ़रत है।  ऐसे में आपका 1 घंटे काम करने से थक जाएंगे और सोचेंगे कि बाकी का काम आप कल कर लेंगे।  दूसरी ओर, यदि आप अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते है, अपने पिछले रिकॉर्ड से प्रतिस्पर्धा करते है आज एक नया कीर्तिमान बनाना चाहते है, तो  आपको यह दिलचस्प खेल लगेगा, जिससे आपमें नई ऊर्जा का संचार होगा।  कुछ दिलचस्प करें, जिसमे\जिसमें आपका मन लगे।  यदि आपका काम नीरस है कि उसे दिलचस्प बनाने का कोई उपाय ही नही है, तो या तो काम बदल ले या फिर किसी विशेषज्ञ से उसे दिलचस्प बनाने का कोई उपाय पूछ लें।  आप काम के अंत में खुद को पुरस्कार का लालच भी दे सकते है।  

     यदि आपको पता होगा कि काम पूरा होने पर आप टेबल पर पैर रखकर हॉट कॉफ़ी पिएँगे या कोई फ़िल्म देखेंगे या पसंदीदा डिनर करेंगे, तो इससे आपको प्रेरणा मिलेगी और काम में दिलचस्पी भी बढ़ेगी।  इतना ही क्यों, अपने आर्थिक लक्ष्य को याद करते रहे और यह कल्पना करें कि उसे प्राप्त करने पर आपका जीवन कितना सुखमय हो जाएगा।  लक्ष्य हमारे पैरों को आगे बढ़ने की शक्ति देते है और हमें कष्ट सहन करने का संबल प्रदान करते है।  यदि आपका सपना पर्याप्त शक्तिशाली है, तो यह आपको लगा तार आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहेगा। 

     देखिए, सापेक्षता का सिद्धांत कभी न भूले !  दूसरों को लगेगा कि आप दिन-रात ख़ाम ख्वाह मेहनत कर रहे है, जबकि आपको उनकी तरह मज़े करने चाहिए, लेकिन आपको दिखेगा कि आप दिन रात मेहनत करके अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे है और वह समय जल्द ही आएगा, जब आप अपनी मनचाही मंज़िल पर पहुँच जाएंगे और उसके बाद सारी जिंदगी मज़े करेंगे।  यही सापेक्षता है।  एक को वर्तमान (present) कष्ट दिखता है, दूसरे को भावी सुख।  यह आप पर निर्भर है। 
                                 
                                                         ALL THE BEST

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25 February 2015

बुरी लतों से बचिए।


     यहाँ हम शराब और सिगरेट के गुण-दोषों पर बातचीत नहीं करेंगे, क्योंकि यह स्वास्थ का विषय है।  हम तो उनका विशलेषण समय के संदर्भ में करेंगे।  शराब और सिगरेट आपके शरीर के लिए तो घातक है ही, आपके समय समय के लिए बहुत घातक है।  लगभग यह एक अनुमान है कि युवा वर्ग एक सिगरेट पीने में लगभग आधा घंटे का समय बर्बाद करते है।  सिगरेट पीने में तो केवल पॉँच मिनिट लगते है, लेकिन इसकी जुगाड़  करने और इसका माहौल बनाने में समय लग जाता है।  हमारे समाज में अभी घर पर सिगरेट पीने का रिवाज नही है, इसलिए युवक पान की दुकान तक जाते है, फिर वहा सिगरेट पीते समय बातचीत करने लगते है और यार दोस्तों के साथ फालतू की बातों में समय कैसे बीत जाता है, उन्हें पता ही नही चलता।

     शराब तो समय को और भी ज्यादा बर्बाद करती है।  अगर यह कहा जाए कि शराब समय को बर्बाद करने वाली सबसे बुरी लत है, तो अतिशयोक्ति नही होगी।  देखिए, एक तो शराब पीने में बहुत समय लगता है।  दूसरे, पीने के बाद आदमी किसी काम का नही रहता।  वह न कुछ कर सकता है, न किसी जगह जा सकता है, न ही फ़ोन पर ढंग से बात कर सकता है।  शराब पीने के बाद दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ती है, सो अलग।  यही नहीं, शराब पीने से अगला दिन भी ख़राब होता है, क्योंकि इसकी वजह से अगली सुबह सिरदर्द हो जाता है, जो दोपहर तक चलता है।  शराब की आदत छोड़ने से हमारा बहुत सा समय बच जाता है।

     सिगरेट और शराब के अलावा भी कई बुरी लतें होती है, जो आपका बहुत सा समय बर्बाद करती है। ये मनोवैज्ञानिक आदते होती है, जिनमें उलझकर आप अपना समय खुद ही बर्बाद करते है।  एक मुख्य आदत है दूसरों की बुराई करने या इधर की बाटे उधर करने की आदत।  यह आदत समय प्रबंधन के लिहाज़ से बुरी है, क्योंकि इसमें आपका बहुत समय बर्बाद होता है।

     बहस या लढाई करने की आदत में भी आपका बहुत समय बर्बाद होता है, तनाव होता है सो अलग, इसलिए इन आदतों से बचिए।  बड़ बोलेपन से भी बहुत समय बर्बाद होता है।  इस आदत को दूर करने के लिए सिकंदर महान के पिता फ़िलिप द्वितीय की घटना को हमेशा याद रखिए।  सभी मुख्य यूनानी शहरों पर कब्ज़ा करने के बाद फ़िलिप द्वितीय ने लैसिडेमान पर लढ़ाई करने का फैसला किया और वह के लोगों को यह चेतावनी भरा एक पत्र भेजा, 'तुम्हें सलाह दी जाती है कि तुम अविलंब समर्पण कर दो, क्योंकि मेरी सेना तुम्हारे शहर में घुस गई, तो मै तुम्हारे खेत नष्ट कर दूंगा, तुम्हारे लोगों को मार डालूँगा और तुम्हारे शहर को जलाकर राख कर दूँगा।'  लैसिडेमान के लोग चाहते, तो इसका मुँहतोड़ जवाब दे सकते थे लेकिन उन्होंने जवाब में सिर्फ़ एक शब्द लिखकर भेजा, 'अगर!' फ़िलिप को सन्देश मिल गया और उसने लैसिडेमान पर लढाई का इरादा त्याग दिया।        

                               आप देर कर सकते है, लेकिन समय नही करेगा। 
                                                         - बेंजामिन फ्रैंकलिन



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24 February 2015

अच्छी पढ़ाई के लिए अच्छी नींद आवश्यक है।


     क्या मुझे देर रात पढ़ना चाहिए या सुबह जल्दी उठ कर पढ़ने की आदत डाल लेनी चाहिए ?  एक student के लिए कितने घंटे की नींद काफी होती है ?  परीक्षा के दिनों में सोने के समय में कटौती करने से वाकई में कोई फायदा होता है ?  क्या दोपहर में एक नींद ले लेनी चाहिए ?

     हमें इस प्रशनो का सही उत्तर पता होना चाहिए ताकि अच्छी तरह से अपनी पढाई कर सके।  नींद के महत्त्व को जानने के लिए इन बातो को समझना जरुरी है। 

नींद आवश्यक प्रोटीन बनाती है :-

     नींद के दौरान दिमाग के सभी भाग आराम नही करते दिमाग के कुछ निशचित भागों में इलेक्ट्रिकल क्रियाकलाप, ऑक्सीजन उपभोग और ऊर्जा व्यय होते है।  इन क्रियाकलापों के दौरान दिमागी प्रोटीन बनाती है।  यही प्रोटीन बुद्धि तेज़ करने में मदत करता है।  इसलिए यह जरुरी है कि आप पूरी नींद ले ताकि प्रोटीन उत्पादन हो सके।  क्योंकि प्रोटीन का बनना और बिगड़ना रोजाना की प्रक्रिया है।  अगर पुराने प्रोटीन की जगह नए प्रोटीन ना ले तो सारी बुद्धि धीरे-धीरे ख़त्म हो जाएगी।  इसलिए प्रोटीन प्रक्रिया द्वारा बुद्धि धारण करने के लिए नींद का अपना महत्त्व है। 

नींद शरीर को सुव्यवस्थित करती है :-

     दिन के दौरान जो भी सुचना हम प्राप्त करते है, नींद उसको व्यवस्थित करती है।  जो कुछ हम देखते है, सुनते है, सूँघते है, टेस्ट करते है या स्पर्श करते है तो विभिन्न तरह की सुचना मस्तिष्क ( दिमाग़ ) तक पहुँचती है।  नींद इन सूचनाओं को नाड़ी स्टोरेज में आसान योजना को व्यवस्थित करती है।  इसलिए अच्छी नींद के साथ कोई समझौता कभी मत करिए।  हमें अच्छी नींद आवश्यक लेनी चाहिए।  कितनी नींद लेनी है यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह कितना शारीरिक और मानसिक कार्य करता है और किस तरह का का भोजन करता है।  student के लिए 6 से 8 घंटो की नींद होनी चाहिए।  यह भी हमेशा याद रखिए कि पूरी नींद न लेने से मनुष्य की सुचना को दीर्घ कालीन बुद्धि में भेजने की क्षमता का भाग होता है। 

दोपहर की नींद :-

     दोपहर के नींद का मतलब सुबह-सुबह का काम करने के बाद जब दिमाग़ थकान अवस्था में होता है तो 30 से 45 मिनिट की नींद दिमाग को ऊर्जावान बना देती है।  हालांकि यह नींद शारीरिक रूप से सुस्त कर देते है पर दिमाग़ को उर्जावान बना देती है।  अगर आपकी नौकरी इस प्रकार की है जिसमे आपको दोपहर की नींद लेना असंभव है तो परेशान होने की जरुरत नही है, आप कुछ समय शांत भाव में ध्यान मुद्रा में बैठ सकते है।  इससे दिमाग ताज़ा होता है। 

अनिद्रा की स्थिति पर काबू :-

     अगर आपको रात में नींद लेने में दिक्कत है, तो इसके उपाय के लिए कुछ सुझाव इस प्रकार है। 
1)   रात में खाने के बाद, देर रात चाय या कॉफ़ी पीना गंभीर समस्या पैदा कर सकता है।  अगर आपने दिन में ज्यादा कैफ़ीन उपभोग किया है तो वह भी नींद में बाधक हो सकता है।
2)   अधिक प्रोटीन वाले भोजन से बचे-अगर आपको रात में नींद लेने में दिक्कत है तो सोने से पहले ज्यादा प्रोटीन वाले भोजन का उपभोग न करे।
3)   सोने के समय का पालन-  अगर आपके सोने के समय में बदलाव होता रहता है तो यह भी अनिद्रा का कारण होता है।  इसलिए सोने का समय निशचित ( fixed) कर लीजिए। 

अंत अधिक उपादेयक होता है :-

     यह मस्तिष्क का गुण होता है कि यह बीच में प्राप्त सुचना के मुकाबलें पहले या फिर आखिरी में सुचना को बेहतर तरीके से धारण करता है।  जब हम लेक्चर यार सेमिनार सुन रहे होते है तो हम पहले और आखिरी बातों को ज्यादा याद कर पाते है।  इसी तरह फिल्म देखने के दौरान भी ऐसा ही होता है।  सोने जाने से पहले का आखिरी घंटा और सोकर उठने के बाद का पहला घंटा अधिक महत्त्वपूर्ण होता है।  इन दोनों समय को पढाई के लिए इस्तेमाल करिए।  यदि आपको कुछ रिवीजन करना है तो सोने जाने से पहले का समय अधिक महत्त्वपूर्ण है।  सुबह के समय दिमाग़ अधिक चुस्त (फ्रेश) होता है तो सुबह के समय को नया टॉपिक याद करने में लगाइए। 


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23 February 2015

बेहतर तरीके से पढ़ाई


     सोचिए कि आप 6 दिन बाद परीक्षा में बैठने जा रहे है।  आपको 5 विषयों की तैयारी करनी है।  आप निचे दिए कोन-सा तरीक़ा अपनाएंगे ?

तरीका - 1 : -
     एक दिन में एक विषय को अच्छे से पढ़ लीजिए और 6 वे दिन अंतिम ( last ) रूप उन सभी विषयों की rivision ( दोहराना ) करिए। 

तरीका - 2 :-
     सभी विषयों को संयुक्त तरीक़े से पढ़े।  जैसे कि दो घंटा गणित, फिर अगले दो घंटे साइंस आदि। 

दिमाग़ को समझें :-
     जब हम कोई खास विषय पढ़ते है तो दिमाग़ का एक खास भाग अन्य भाग की अपेक्षा अधिक काम करने लगता है।  जब हम साइंस की ओर ध्यान देते है तो दिमाग़ का दूसरा भाग काम करने लग जाता। 

     इस प्रकार, विषय बदलकर पढ़ने से दिमाग़ के विशेष भाग को बारी-बारी से ताजा होने का मौका मिल जाता है और हमें थकान महसूस नही होती। 

निष्कर्ष :-
     अगर हम पुरे दिन एक ही विषय पढ़े तो दिमाग़ के खास भाग पर अधिक दबाव बनता है जो कि किसी भी सूरत में अवांछनीय है।  इसलिए सभी को बदल-बदलकर संयुक्त रूप से पढ़े।  जैसे कि दो-तीन घंटे गणित पढ़ने के बाद, साइंस फिर अगले दो घंटे में अन्य विषय।

सीखने या याद करने में इस तरीक़े का प्रयोग करिए -

काल्पनिक चित्र :-
     जो कुछ आप पढ़ते है।   काल्पनिक चित्र में तबदील करने की कोशिश करिये।  हमारे देखने की मेमोरी सुनने की मेमोरी की अपेक्षा बीस गुना ज्यादा है।  क्योंकि आँखो का कनेक्शन दिमाग़ के साथ जुड़ा है।  वे कानों की कोशिशकाओं के मुकाबलें बीस गुना मजबूत है।  काल्पनिक चित्रण विधि का प्रयोग इतिहास जैसे विषयों में अच्छी तरह से किया जा सकता है।  उदाहरण के लिए आपको हड़प्पा सभ्यता के बारे में जानने की आवश्यकता है तो पढ़िए, समझिए, उस सभ्यता का दिमाग में चित्रण करिये और उसमे रहने की कोशिश करिये।
     इस बात का ध्यान रखे जो कुछ आप पढ़ते है उसके बारे में संबंध बैठाने के लिए आपके पास कुछ न कुछ चित्रण अवश्य होता है।  सुनना हमें सिखने में मदत करता है जबकि देखना और कल्पना करना लम्बे समय तक याद रखने में मदत करता है।
     मानसिक चित्रण ने मुझे पूर्ण स्मृति धारण करने में राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाने में सहायता की।  इसलिए किसी भी चीज़ का दिमाग में हमेशा चित्रण करिए।

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22 February 2015

एकग्रता का कैसे विकास करें ?


     जब हम अपनी पसंद की फिल्म देखने जाते हैं।  तब हम तीन घंटे उसी में आँख लगाए बैठे रहते है।  हम शायद ही जानते है कि या फिर जानने की कोशिश करते है कि हमारे पास में कौन बैठा है, कब उठकर चला गया है।  उसी तरह क्रिकेट मैच के दौरान खाना-पीना, सब कुछ छोड़कर ध्यान पूर्वक देखते रहते है और अपने आपको पूरी तरह से उसी में लगा देते है।  लेकिन यदि हम पढ़ाई कर रहे है, तो ध्यान हटने में ज्यादा समय नही  लगता।  अगर घर में संगीत बज रहा हो तो जैसे पढ़ाई से ध्यान हटाने का बहाना मिल गया हो और हमारा ध्यान तुरंत पढ़ाई से हट जाता है। 

एकाग्रता का अर्थ है विषय में रूचि होना :-
      किसी विषय को भली-भांति सीखना या समझना इस बात पर निर्भर करता है कि हम कितने मात्रा में अपना ध्यान उस विषय में concentrate करते है और एकाग्रता इस बात पर निर्भर करती है कि हम उस विषय में कितनी रूचि ले रहे है। 

     इसे समझने के लिए हमें 'रुचि' को अच्छे ढंग से समझना होगा।  कल्पना कीजिए कि आपको पिछले सप्ताह हुई पार्टी के फ़ोटो दिए जाते है जिसमें आप भी शामिल है। 

     आप उन फ़ोटो में क्या देखेंगे ?  
     जाहिर है, उन फ़ोटो में आप अपनी फोटो देखने की कोशिश करेंगे।  ज्यादातर समय हमारी रूचि अपने आपको देखने में रहती है।  इसका मतलब जिस विषय में हम ज्यादा रूचि लेते है, उसमे एकाग्रता का पैमान भी अधिक होता है। हम उस विषय को जल्दी सीख़ लेते है जिस विषय में अपने आपको शामिल कर लेते है। 

एक उदाहरण देखिए :-
     एक स्मृति टेस्ट के दौरान,टीचर ७ वी कक्षा के विद्यार्थियों के दो समूहों (section) को प्राचीन मानव के विकास के बारे में पढ़ाया। 
     1 )  पहले section को कहानी इस प्रकार बताई-प्राचीन मानव गुफ़ा में रहा करता था।  उन्होंने दो पत्थरों को आपस में रगड़कर आग की ख़ोज की और वे पेड़ के पत्तो, जानवरों की खाल पहना करते थे। 
    2 )  teacher ने दूसरे section के विद्यार्थियो से अपने आपको आदि मानव सोचने के लिए कहा गया और उन्हें बताया -
     " आप गुफ़ा में रहा करते थे।  आपने पत्थरों को रगड़कर आग की ख़ोज की।  आप शरीर में पत्तियां और जानवरों की खाल पहनते थे।"

सीख :-
     दूसरे section के विद्यार्थियों ने पाठ जल्दी सीखा।  एक साल बाद वैसे ही ठीक उसी ढंग से कहानी को दोहरा (repeat) कर सके। 
         
       
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21 February 2015

परीक्षा के लिए।


     परीक्षा की तैयारी के लिए teacher उनके अनुभव के आधार पर आने वाले प्रशनों की तैयारी करने केलिए कहते है।  परीक्षा के शुरू होने से पहले आप कितने तेज़ी से तैयारी करते है।  कितने दिन बचें है यह सोंचकर योजना करते है, यह हर एक की अपनी सोच-समझ, क्षमता पर निर्भर करता है।  जब आप परीक्षा से पहले के समय में rivision का काम करते है तो आपके दिमाग में यह doubt आता है कि बचे हुए समय का किस प्रकार से उपयोग किया जाये।  समय फ़टाफ़ट बीत रहा होता है, इसलिए यह जरुरी होता है कि rivision तीव्र गति से जितना ज्यादा संभव हो, हो जाये।  

अपने आपको व्यवस्थित करिए :-
     विभिन्न समय योजना के अनुसार अपनी rivision को व्यवस्थित करिए।  आखिरी सप्ताहों के लिए साप्ताहिक study योजना बनाईए, हर दिन के लिए दैनिक योजना या फिर अगले कुछ घंटो के study session की योजना तैयार करिये।  इस समय योजना के साथ, आप देखेंगे कि किस तरह दैनिक विकास आपकी पूरी स्टडी योजना को प्रभावपूर्ण बनाती है। 

प्रभाव पूर्ण समय :- 
     बहुत से विद्यार्थी जानते है कि कब वे प्रभावपूर्ण तरीक़े से पढाई कर सकते है।  कुछ लोग सुबह के समय अधिक पढाई कर सकते है, तो कुछ लोग शाम या रात में बेहतर तरीक़े से पढाई कर सकते है।  परीक्षा के दिनों में आप हर उपलब्ध समय में पढ़ने की क्षमता रखते है।  इसलिए यह योजना बनाइए कि जब आप अधिक उत्साहात होते है तो कोन सा विषय पढ़ना है।  कम ऊर्जा के समय किस विषय को पढ़ना है।  इस तरह अपनी क्षमता का उपयोग करते हुए योजना बनाइए। 

चिंता छोड़े :-
     अच्छी शुरुवात के बावजूद, कई बार आप देखते है कि चिंता के कारण आप पढ़ नहीं पा रहे।  अगर ऐसा है तो कुछ समय के लिए बाहर इधर-उधर टहलें और गहरी सांस लें फिर वापस स्टडी टेबल पर आ जाए।  

सही दिशा में सोचें :- 
     एक पेपर पर " हा मै कर सकता हू " लिख लीजिए और इस पेपर को अपनी किताबों में या नोट्स के आगे रख लीजिए।  जिसमें इस वाक्य पर आपकी निगाहें बार-बार पड़ती रहे। 

पढ़ाई में विश्राम :-
     पढाई में कुछ देर विश्राम जरूर लें जब आप पढाई में थका हुआ महसूस कर रहे है।  जब आप ज्यादा से ज्यादा याद करने की कोशिश कर रहे हैं तो आपके दिमाग़ को आराम की जरूरत होती है ताकि आपकी क्षमता बनी रहे।  स्टडी टेबल से कुछ देर के लिए उठ जाए थोड़ा इधर-उधर घूम लें, अपना ध्यान कही और लगा ले, फिर वापस आकर पढ़ने बैठ जाए। 

एकाग्र पूर्ण पढ़ाई :- 
     रिवीजन के दौरान ख़ास point पर ध्यान दे।  समय सीमित होने के कारण आपको यह चुनना पड़ेगा कि कम समय में किस तरह ज्यादा से ज्यादा पढ़ा जा सके।  विस्तार से पढ़ने या फिर याद करने केलिए समय नहीं होता है।  अंतिम समय में सिर्फ़ खास point को ही याद करने की आशा की जा सकती है। 

उत्तेजक पदार्थो से बचे :-
     कॉफ़ी, चाय जैसे पदार्थो से बचना चाहिए जब आपका नर्वस सिस्टम पहले से अधिकतम क्षमता से काम कर रहा है तो फिर आपको और उत्तेजित करने के लिए चाय कॉफ़ी लेने की जरूरत नही होती।  ज्यादा कैफीन आपके शरीर पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।

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19 February 2015

अगले दिन की योजना बनाकर अवचेतन मन की शक्ति का लाभ लीजिए।


    आदर्श स्थिति तो यह रहती है कि आप अगले दिन की योजना एक दिन पहले रात को बना लीजिए।  एक दिन पहले योजना बनाने का लाभ यह होता है कि आपको अवचेतन मन की शक्ति का लाभ मिल जाता है।  यह साबित हो कि हमारे भीतर दो मन होते है : - चेतन मन और अवचेतन मन।  चेतन मन यानि वह मस्तिष्क, जो सोचता है और जिसके बारे में हम जागरूप होते है।  दूसरी ओर, हमारे भीतर एक अवचेतन मन भी होता है, जो हमें दिखाई तो नहीं देता है, लेकिन यह हमें जल्दी से और सही तरीक़े से काम पूरा करने के नए-नए तरीक़े सुझा सकता है। 

     क्या कभी ऐसा हुआ था कि रात को आपको सोचने पर भी किसी सवाल का जवाब याद नहीं आ रहा था, लेकिन सुबह होते ही आपको अपने आप जवाब मिल गया, बिना सोचें हुए सब कुछ सही हो गया ?  ऐसा आपको अवचेतन मन के कारण हुआ था।  जब रात को आप और आपका चेतन मन दोनों ही सो रहे थे, तो अवचेतन मन ने उस समस्या पर काम किया और सुबह होते ही जवाब आपके सामने पेश कर दिया।  यह चेतन मन के लिए मुश्किल कामों की ऑउटसोर्सिंग की तरह है।  जो काम चेतन मन केलिए मुश्किल है, उन्हें आपका अवचेतन मन चुटकियों में कर सकता है, इसलिए अवचेतन मन की शक्ति का लाभ लें और एक रात पहले ही अगले दिन की योजना बना लीजिए। 

     यदि आप वास्तव में समय प्रबंधन करना चाहते है, तो आपको केवल चेतन मन का नहीं, बल्कि अवचेतन मन का भी इस्तेमाल करना होगा।  यदि आपको ऐसे नए-नए तरीक़े सुझाएगा, जिनकी बदौलत आप कम समय से ज्यादा काम करने के उपाय खोजने में क़ामयाब होंगे।  एक रात पहले योजना बनाने से यह लाभ होता है कि रात भर में आपकी कार्यसूची आपके अवचेतन मन में समा जाती है।  अगले दिन आपको अपने आप सही क्रम सूझ जाता है और आप खुदबखुद कार्यसूची के मुताबिक काम करने लगते है।  हो सकता है कि आपको काम करने का नया तरीका भी सूझ जाए। 

     कई बार तो काम इसलिए अधूरा छूट जाता है, क्योंकि हम काम के नहीं, समय के संदर्भ में सोचते हैं।  जैसे, मै यह काम एक घंटा तक करूँगा।  इससे बेहतर तरीका यह है, मै इस काम का यह हिस्सा एक घंटे में पूरा करूँगा।  अब अगर वह हिस्सा सवा घंटे में निबटता ( पूरा होता ) है, तो सवा घंटा एक काम करिए।  सिर्फ समय भरने केलिए काम करने के बारे में न सोचें, काम पूरा निबटाने के बारे में सोचिए। 

     इसका एक उदाहरण देखिए -

     एक विद्यार्थी सोचता है, मैं एक घंटे तक maths पढूंगा।  दूसरा विद्यार्थी सोचता है, मै सवाल करूँगा।  अब आप ही सोचिए, किसकी प्रगति ज्यादा होगी ?  दूसरे विद्यार्थी की।  इसलिए, क्योंकि उसने काम का स्पष्ट लक्ष्य बनाया था।  तो आप भी इस विद्यार्थी की तरह काम का स्पष्ट लक्ष्य बनाइए और सफ़लता हासिल कर लीजिए। 

       सफ़लता का सूत्र सरल है : - सही काम करे, सही तरीक़े से करें, सही समय पर करें। 
                                                                    - अरनॉल्ड एच. ग्लासगो   

                                                      !!! ALL THE BEST !!!

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आतंरिक बल से सफ़लता और टुकड़ो में याद रखें।

1) आतंरिक बल से सफ़लता :-
     महान runner इस बात को मानते है कि खेलों में 60-90% सफ़लता में मानसिक सोच का विशेष महत्त्व है।  यह बात सिर्फ खेलों के विषय में ही सही नहीं है बल्कि हर क्षेत्र में लागू होती है।  आतंरिक शक्ति या स्वयं का सुझाव हमें अपने लक्ष्य तक जल्दी पंहुचा सकता है।

परीक्षा में आतंरिक शक्ति का कैसे प्रयोग करें ?
     परीक्षा शुरू होने से एक रात पहले, याद करने के लिए आतंरिक बल का ५ मिनिट के लिए प्रयोग करिए। 
1.  अपनी आंखे बंद करके सोचें कि आप परीक्षा केंद्र की तरफ जा रहे है फिर अपनी सीट ढुंग कर बैठ जाते है। 
2.  यह महसूस करिये कि परीक्षक आपके तरफ आता है, आपको प्रशन - पत्रिका और उत्तर - पत्रिका देते है। 
3.  अब आप मन ही मन में परीक्षा नियम और प्रशन पढ़ रहे है। 
4.  अब आप अपने आपको सुझाव दें, सोचें कि आप  हर एक प्रशन का उत्तर सही दे रहे है और समय पर सभी प्रशन समाप्त कर लेते है। 
     परीक्षा से पूर्व इस तरह का अभ्यास आप में आत्मविकास बढ़ाएगा और साथ ही में आपकी कार्य क्षमता में सुधार लाएगा।  

 2) टुकड़ो में याद रखें :-
     असफ़लता नई शुरूवात को जन्म देती है।  किसी ने सही कहा है कि सफ़लता पाने के लिए असफ़लता की काफ़ी जरूरत होती है।  असफ़ल होने पर इंसान नयी कोशिश करता है, नए विचारों को जन्म देता है, नए लोगों के संबंध में आते है, नए दोस्त बनाता है।  जबकि सफ़ल होने पर दिमाग़ संकीर्ण (मजबूत ) हो जाता है।   

पढ़ाई में इस विचार को कैसे लागू करें ?
     यह नियम या विचारधारा लम्बी साहित्य में बेहतर रूप में लागु होती है।  बड़े topic को याद करने का सबसे अच्छा तरीका है कि उस विषय को विभिन्न भागों में बांटकर याद किया जाए।  इस तरह छोटे हिस्सों में बाटे हुए पाठ ( topic ) को याद करना अधिक आसान हो जाता है।  इस तरह अधूरा कार्य को फायदेमंद बनाया जा सकता है। 
                                                !!! ALL THE BEST !!!


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18 February 2015

आलस से बचिए।


     समय बचाने के लिए आपको आलस से बचना चाहिए।  जब भी सामने कोई मुश्किल काम आता है, तो हम आलस करने लगते है और उसे टाल देते है।  लेकिन टालमटोल करने के अलावा भी आलस के कई कारण होते हैं।  आलस का एक अहम कारण वह  है, जिसे अधिकांश लोग अनदेखा कर देते है :- जरुरत से ज्यादा भोजन करना।

     जब आप आवश्यकता से अधिक भोजन करते है या ज्यादा तला-भुना भोजन करता है, तो आपकी ऊर्जा में कमी आ जाती है और आपकी एकाग्रता में बाधा आती है।  आलस में ज्यादा गलतियाँ करते है और टालमटोल करने या फिर जैसे-तैसे काम निबटाने के चक्कर में रहते है।  इससे आपके काम की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है।  यदि आप शरलॉक होम्स के दीवाने है, तो ये बात आपको जल्दी समझ आ जाएगी, क्योंकि जब शरलॉक होम्स कोई जटिल समस्या सुलझाने में जुटता था, तो खाना-पीना छोड़ देता था।  उसका मानना था कि भोजन करने के बाद ख़ून का प्रवाह पेट की तरफ हो जाता है, जिससे दिमाग़ के काम करने की रफ़्तार धीमी हो जाती है।

     यह स्पष्ट समझ लीजिये कि यहाँ भोजन करने में लगने वाले समय की बात नहीं हो रही है, ज्यादा भोजन करने के परिणामों की बात हो रही है।  भोजन करने में तो कम समय लगता है, लेकिन भोजन के कारण उत्पन्न आलस के कारण ज्यादा समय बर्बाद होता है।  क्या आपने कभी देखा है कि दिन में खाना खाने के बाद विद्यार्थियों को नींद के झोंके आने लगते हैं रात को अगर ज्यादा खाना खाले लें, तो सीधे बिस्तर पर जाने की इच्छा होती है ?  आपने ख़ुद भी महसूस किया होगा कि रेस्तरां में या किसी विवाह समारोह में भोजन करने के बाद आपको पेट भारी लगता है और आप जल्दी से जल्दी सो जाना चाहते हैं।

     क्या आपने कभी सोचा है कि हम सुबह सबसे अच्छी तरह काम क्यों कर सकते हैं ?  एक कारण तो यह है कि उस समय आराम कर लेने के बाद शरीर थका हुआ नही रहता है।  दूसरा कारण यह है कि सुबह oxygen ज्यादा रहता है और तीसरा कारण यह है कि उस वक़्त हमारा पेट खाली होता है।  पेट खाली रहने से दिमाग़ ज्यादा तेज़ी से चलता है, इसलिए हमें एक ही बार में ज्यादा भोजन करने से बचना चाहिए, ताकि हम पर आलस सवार न हो।  नियमित अंतराल पर कम आहार ग्रहण करना स्वास्थ केलिए सबसे अच्छा माना जाता है।  जब आप कम खाते है, तो आपको आलस नही आता और आपकी ऊर्जा व् एकाग्रता का स्तर बना रहता है।

     आलस के कारण इंसान अपने महत्त्वपूर्ण काम नहीं कर पाता है, इसलिए अपनी ऊर्जा के स्तर को बनाए रखिये और आलस नाम के महा रोग से बचिए।

                   आलस मीठा होता है, लेकिन इसके परिणाम बेरहम होते हैं। 
                                                   - जॉन क्विन्सी एडम्स 

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17 February 2015

सबसे महत्त्वपूर्ण काम सबसे पहले करिए।


     अक्सर हमारी दिनचर्या इस तरह की होती है कि हमारे सामने जो काम आता है, हम उसे करने लग जाते है और इस वजह से हमारा सारा समय छोटे छोटे कामों को निपटाने में ही चला जाता है।  हमारे महत्त्वपूर्ण काम इसलिए नही हो पाते, क्योंकि हम महत्त्वहीन कामों में उलझे रहते है।  महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति को इस बात में सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि सफ़लता पाने केलिए ये आवश्यक है कि महत्त्वपूर्ण काम पहले किये जाए।  हमेशा याद रखे कि सफ़लता महत्त्वहीन नही, बल्कि महत्त्वपूर्ण कामों से मिलती है, इसलिए अपनी प्राथमिकताएँ स्पष्ट रखें और अपना समय महत्त्वहीन कामो में न गवाएं।

समय के संबंध में अपनी प्राथमिकताएं तय करने का एक उदाहरण देखिये -

     'एक मशहूर संगीतज्ञ जब वायलिन बजाना सीख रही थी, तो उन्होंने पाया कि उनकी प्रगति संतोषजनक नहीं है।  कारण खोजने पर उन्हें पता चला कि संगीत का अभ्यास करने से पहले घर साफ करने, सामान व्यवस्थित करने, खाना पकाने आदि कार्यों में उनका बहुत समय लग जाता है, इसलिए उन्हें वायलिन सीखने के लिए कम समय मिल पाता है।  यह जानने के बाद उन्होंने संकल्प किया कि क्योंकि संगीत उनके लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है, इसलिए वे सबसे पहले संगीत का अभ्यास करेंगी, बाकी सारे काम उसके बाद करेंगी।  खुद को इस तरह अनुशासित करने के बाद उन्होंने संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की, क्योंकि अब वे अपना सबसे महत्त्वपूर्ण काम सबसे पहले कर रही थी।'

     इस उदहारण से यह स्पष्ट हो जाता है कि हर महत्वा कांशी व्यक्ति को अपने सबसे महत्त्वपूर्ण काम सबसे पहले करने चाहिए, लेकिन इसके लिए उसे यह पता लगाना होगा कि सबसे महत्त्वपूर्ण काम है कौन से।  उनके पास उनकी प्राथमिकताओ की स्पष्ट योजना होना चाहिए।  ऐसा करना बहुत ही आसान है।  एक डायरी में ए (A), बी (B) और सी(C) शीर्षक के तीन कॉलम बना लें।  ए (A) कॉलम में अपने सबसे महत्त्वपूर्ण काम रखें, जिन्हें आप अनिवार्य मानते हैं।  बी (B) कॉलम में ऐसे काम रखें जो अनिवार्य तो नहीं हैं, परंतु महत्वपूर्ण हैं।  सी (C) कॉलम में ऐसे सामान्य काम रखें, जो न तो अनिवार्य हैं, न ही महत्त्वपूर्ण।

     


 दिनांक :-
ए (अनिवार्य कार्य )    बी (महत्वपूर्ण कार्य)       सी (सामान्य कार्य )
 1.                               1.                                1.
 2.                               2.                                2.
 3.                               3.                                3.

     दिन में सब से पहले ए कॉलम के पहले काम यानी ए1 काम से करें, जो सबसे अनिवार्य काम होगा।  उसे पूरा करने के बाद आप इसी कॉलम के दूसरे काम करने में जुट जाए और इस तरह ए कॉलम के सारे काम निपटा लीजिये।  ए कॉलम के बाद बी कॉलम के काम शुरू करिए और इसके बाद समय बचने पर ही सी कॉलम के कामों की ओर जाए।

     महत्त्व के क्रम में अपनी प्राथमिकताओ की कार्य सूची बनाना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है।  हमें रॉबर्ट जे. मैकैन की यह बात हमेशा याद रखना चाहिए, 'अधिकांश बड़े लक्ष्य हासिल न हो पाने का कारण यह है कि हम छोटी चीजों को पहले करने में अपना समय बर्बाद कर देते है।' 

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16 February 2015

सुबह जल्दी उठिए।


  सुबह का पहला घंटा पुरे दिन की दिशा तय करता है
                                      - हेनरी वार्ड बीचर

     'जो जल्दी सोते है,जल्दी उठते है, उनके पास स्वास्थ, पैसा और बुद्धि रहती है।'  इस कहावत को आज जितना नजर अंदाज किया गया है, उतना किसी दूसरी कहावत को नही किया गया।  यह बात मै अनुभव से जानता हू।  कभी मै भी रात को २-३ बजे सोकर सुबह ८-९ बजे उठता था और अगर आप आधी रात के बात सोते है, तो आप भी मेरी ही श्रेणी में आते है।  time management की दॄष्टि से यह बिलकुल ही गलत है, क्योंकि सुबह देर से उठने पर आपके पास दूसरे कामों के लिए तो समय रहता है लेकिन अपने लिये समय नहीं रहता है।

     लोग यह तर्क दे सकते है कि सुबह उठना बूटो की बात नहीं है, रात की शांति में काम ज्यादा अच्छी तरह होता है और रात को वे चाहे जितनी देर तक काम कर सकते है।  लेकिन तर्क लचर है।  सुबह ४ बजे उठने पर भी शांति ही रहती है और उसमें काम अपेक्षा कृत ज्यादा अच्छी तरह होता है। मुख्य बात यह है कि उस समय काम की गति भी तेज़ होती है, क्योंकि शरीर और दिमाग़ दोनों भी तरो ताज़ा होते है।  रात के वातावरण में oxygen की मात्रा कम हो जाती है, इसलिए आपका दिमाग़ कम चल पाता है और दिमाग़ी काम के लिए रात का समय आदर्श नहीं होता।  आदर्श समय तो सुबह का ही रहता है, जब वातावरण oxygen से भरपूर रहता है।  यकीन न हो, तो सुबह ६ बजे और शाम ६ बजे उसी सड़क पर घूम कर देख लीजिए।

     एक बात जान लीजिए, समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग में सबसे बड़ी दिक्क़त दूसरों की तरफ़ से आती है और सुबह यह दिक्कत सबसे कम होती है,इसलिए सुबह के १ घंटे में आप जितना काम कर लेते है, उतना दोपहर में ३ घंटे में हो पाएगा।  सुबह mobile का tension भी नहीं रहता, अख़बार भी देर से आता है, बच्चे भी देर से उठते है, इसलिए आप पूरी एकाग्रता से काम कर सकते है। 

     आदर्श स्थिति में तो नियम यह है कि सूरज उगने से २ घंटे पहले उठे और सूरज डूबने के २ घंटे बाद सो जाए।  जब आप सुबह ४ बजे उठते है, तो आपके पास समय ही समय रहेगा।  ऑफिस जाने से पहले भी आपके पास ४-५ घंटे का समय रहेगा।  इस दौरान आप व्यायाम कर सकते है, पुरे दिन की योजना बना सकते है और अपने महत्त्वपूर्ण काम निपटा सकते है।  दूसरी ओर, जल्दी सोने की आदत से भी आप बहुत समस्याओं से मुक्ति पा लेते है।  आपको देर रात की पार्टिओ से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा, आपकी जीवन शैली ज्यादा स्वस्थ हो जाती है।

     हमारे पूर्वजों की जीवनशैली ज्यादा स्वस्थ इसलिए थी, क्योंकि वे प्रकृति के करीब थे।  वे न सिर्फ प्राकृतिक वातावरण में रहते थे, बल्कि प्रकृति की लय में कार्य करते थे।  सुबह का वातावरण इतना पवित्र और शांत रहता था कि ऋषि-मुनि ब्रह्म मुर्हुत में भजन-पूजन करते थे।  वे मुर्गे की बाँग के साथ उठते थे और चाँद निकल ने पर सो जाते थे।  इस तरह वे अपने शरीर को प्रकृति के सांमजस्य में रख रहे थे।  आज आधुनिकता की होड़ में कृत्रिमता का माहौल इतना बढ़ चूका है कि प्रकृति से मनुष्य का सारा संपर्क ही टूट चूका है।  रात को देर तक जागने से मनुष्य की प्राकृतिक लय ख़त्म हो जाती है और वह सुबह देर से उठता है।  नतीजा यह होता है कि उसका हाजमा ख़राब होता है, कब्ज़ की शिकायत रहती है, ताज़गी और स्फूर्ति का अभाव होता है और दिन भर उसके शरीर में आलस भरा रहता है।


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14 February 2015

मनुष्य का भाग्य स्वयं मनुष्य के हाथ में ही होता है।


     एक समय की बात है -
     एक बार एक गुरूजी कक्षा में सभी छात्रों को पढ़ा रहे थे कि मनुष्य का भाग्य स्वयं मनुष्य के हाथ में ही होता है।  आप जैसे सोंच रखेंगे, या फिर जैसे कर्म करेंगे आप वैसे ही बन जाएंगे।  ये life सभी को एक-समान उपलब्धियां (opportunity) देती हैं, लेकिन ये सब आप पर निर्भर करता है कि आप अपने opportunity का इस्तेमाल कैसे करते हैं।

गुरूजी का मनुष्य का भाग्य बदलने वाला एक उदाहरण -
     गुरूजी ने सभी छात्रों के सामने एक प्रयोग किया।  उन्होंने तीन कटोरे लिए और एक में आलू, दूसरे में अंडा और तीसरे में चाय की पत्ती डाल दी।  अब तीनों कटोरों में पानी डालकर उनको गैस पर उबलने के लिए रख दिया। सभी छात्र ये सब ध्यानपूर्वक देख रहे थे, लेकिन उनकी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था।  २० मिनट के बाद जब तीनों बर्तनो में उबाल आने लगा तो गुरूजी ने सभी कटोरों को नीचे उतार दिया और आलू, अंडा और चाय को बाहर निकाल कर उनके सामने पेश किया।  अब गुरूजी ने सभी छात्रों से तीनों चीजों को गौर से देखने के लिए कहा लेकिन कोई भी छात्र  इस बात को समझ नहीं पा रहे थे।

     अंत में गुरु जी ने ही एक छात्र को बुला कर उसे तीनों चीजों (आलू, अंडा और चाय) को हाथ लगाने के लिए कहा।  जब छात्र ने आलू को हाथ लगाया तो ये महसूस किया कि जो आलू पहले काफ़ी कठोर था, लेकिन अब वह पानी में उबलने के बाद काफ़ी मुलायम हो गया है।  अब अंडे को उठाया तो देखा, जो अंडा पहले बहुत नाज़ुक था अब कठोर हो गया है।  अब चाय के कप को उठाया तो देखा, चाय की पत्ती ने गर्म पानी के साथ मिलकर अपना रंग बदल लिया और अब वह चाय बन चुकी थी।

इसी तरह गुरु जी ने उन सबको समझाया- 
     हम ने तीनों को एक समान पानी में उबाला था लेकिन बाहर आने पर तीनों चीज़ें एक जैसी नहीं मिली।  क्योंकि आलू जो कठोर था वो मुलायम हो गया, अंडा पहले से ज्यादा कठोर हो गया और चाय की पत्ती ने भी अपना रंग बदल दिया, इसी संदर्ब की तरह यही बात मनुष्य पर भी लागू होती है।  एक मनुष्य मुसीबतों में अपना धैर्य खो देता है और वहीं दूसरा बुद्धिमान मनुष्य मुसीबतों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य को हासील कर लेता है।

     तो  friends, इसी तरह विधाता भी सभी को समान अवसर (opportunity) और मुसीबतें प्रदान करते हैं, लेकिन ये पूरी तरह हम पर depend करता है कि हम कैसा बनाना चाहते हैं और किस तरह हम अपने जीवन के लक्ष्य को सफ़ल बनाते हैं।

                                                 !!!! ALL THE BEST  !!!!


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13 February 2015

कर्म में जुट जाए।


                           समय की रेत पर कदमों के निशान बैठकर नही बनाए जा सकते।
                                                                          - कहावत

     बेहतरीन लक्ष्यों और सर्वश्रेष्ठ योजनाओं के बावजूद आप असफल हो सकते है, बेशर्ते आप उन पर आप अमल न करे।  कर्म ही वह जादुई तत्व है, जो आपको स्थायी सफ़लता दिलाता है।

     हम सब जानते है कि बिना मेहनत किये हम सफ़ल नही  हो सकते, परन्तु आष्चर्यजनक बात यह है कि इसके बावजूद हम मेहनत से जी चुराते है, काम को टालते रहते है, मूड ना होने का बहाना बनाते है, समय या संसाधन की कमी का तर्क देते है यानि ,काम करने के अलावा सब कुछ करते है।  इस संदर्भ में तुलसीदास जी के इस दोहे को याद रखिए, 'सकल पदारथ है जग माहीं।  करमहीन नर पावत नाही।'  यानी इस संसार में सारी चीज़ें हासिल की जा सकती है, लेकिन वे कर्महीन व्यक्ति को नही मिलती है।   

      काम से जी चुराने का मुलभुत कारण यह है कि हम स्वभाव से आलसी होते है और हमारा मन हमें मनोरंजन या आनंद की आकर्षक राह की तरफ़ खींचता है।  हम यह भूल जाते है कि सफ़लता की राह मुश्किलों से भरी होती है, जिस पर चलने का श्रम करने के लिए हमें अपने मन पर काबू पाना होगा, अपनी इच्छा शक्ति को दृढ़ करना होगा और लक्ष्य की तरफ लगातार बढ़ना होगा।  हम यह भी भूल जाते है कि सफल व्यक्ति अपने मूड के दास नही बल्कि उसके स्वामी होते है। 

      इस संबंध में सबसे अच्छी सलाह यह है, 'कोई काम शुरू करते समय अपने मूड से सलाह न ले।'  यानि अपने मूड के हिसाब से नही, बल्कि अपने लक्ष्य और योजना के अनुसार काम करें।  विश्वविख्यात नाटक कार जॉर्ज बनार्ड शॉ का कही बार लिखने का मूड नही होता था।  लेकिन मूड हो या ना हो लेकिन वे लिखते थे, क्योंकि उन्होंने महान साहित्य कार बनने के अपने लक्ष्य को कभी अपनी नज़रों से ओझल नहीं होने दिया।  अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उन्होंने संकल्प किया कि वे हर दिन ५ पेज लिखेंगे, चाहे उनका मूड कैसा भी हो।

     अगर आप भविष्य में सफलता की फ़सल काटना चाहते है, तो आपको उसके लिए बीज आज बोने होंगे।  अगर आप आज बीज नही बोएंगे, तो भविष्य में फ़सल काटने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं ?  पूरी सृष्टि कर्म और फल के सिद्धांत पर चलती है, इसलिए आपको अपने कर्म के अनुपात में ही फल मिलेंगे।

     यदि आप सफलता चाहते है, तो कर्म में जुट जाए और तब तक जुटे रहें, जब तक कि आप सफल न हो जाए।  यदि आप समय का सर्वश्रष्ठ उपयोग करना सीख लेते है, तो आगे चल कर समय आपको वह वस्तु दे देगा, जिसे आप प्रबलता से चाहते है - सम्मान, सफलता, धन, सुख, या फिर जो भी आप चाहते है।


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12 February 2015

कुछ विचार आप सभी के लिए।


1. अपने विचारों पर ध्यान दे, वे आपके शब्द बन जाते है।  अपने शब्दों पे ध्यान दे वे आपके क्रियाये बन जाते है।  अपनी क्रियाओं पर ध्यान दे वे आपकी आदते बन जाती है।  अपनी आदतों पर ध्यान दे वे आपका चरित्र बन जाती है।

2. लाभ कोई बुरा शब्द नही है।

3. केवल अस्तित्व के लिए नही बल्कि जीने के लिए जिए।

4. partnership टूटने के लिए ही बनाई जाती है।

5. पुराने रिकॉर्डों में और पत्रों में से ९०% की कभी भी आवश्यकता नही पड़ती।

6. कोई एक रास्ता पक्का नही है, जिस अनुसार आप निर्णय ले सके, इसलिए हर एक रास्ता अपनाए।
शिकायतें एक तरह का सुझाव होती है।

7. बजट एक चुनौती है।

8. computer केवल विष्वसनीय और आज्ञाकारी है।

9. काग़ज़ एक लेखन सामग्री है, वह अपने आप काम नहीं करता।

10. काम करने वाले के लिए काम कभी ख़त्म नही होता, हमेशा एक नया काम तैयार रहता है।

11. भविष्य की उन्नति केलिए वर्तमान का सदुपयोग करने को तैयार रहें।

12. शिक्षा में जीवन की हर प्रकार की स्थितियों का सामना करने की योग्यता है।

13. शिक्षा का महत्वपूर्ण लक्ष्य ज्ञान नही बल्कि व्यावहारिकता है।

14. ज्ञान और लकड़ी का इस्तेमाल बिना मौसम या मौके से ज्यादा नही करना चाहिए।

15. पक्षी तालाब से पानी पीते है परन्तु उसे खाली नही कर सकते।

16. कल्पना ज्ञान से अधिक ज्यादा महत्त्वपूर्ण है।

17. किसी चीज़ को पूरी तरह जानने के बाद ही सीखने का कोई अर्थ है।

18. ऐसी चीजें याद रखना बेवकूफी है, जो बाद में आपको भूल जानी पड़े।

19. व्यावहारिक ज्ञान को अपना सर्वोत्तम मित्र बनाएँ।

20. या तो मै कोई रास्ता ढूंढूंगा या फिर बना लूंगा।

21. कचरा अंदर डाले तो कचरा ही बाहार निकलेगा।

22. जहा सुई जाती है वहा धागा भी जाता है।

23. पयोग की जा रही चाबी हमेशा चमकदार रहती है।

24. अनंत प्रसन्नता के लिए अपने सुनहरी पेन और जुबान का प्रयोग करें।

25. व्यापार ठीक साइकिल चलाने जैसा है, या तो आप चलते रहते है या फिर गिर जाते है।  इन दोनों के बीच की कोई स्थिति नही है।

26. लाभ के बारे में जितना हो सके देर से सोचें, खर्चो के बारे में जितना हो सके जल्दी सोचें।      

27. अगर सभी संभव रुकावटों को पहले ही ख़त्म कर दिया जाए, तो करने केलिए कोई काम नही रहेगा।

28. अपने ग्राहक या कर्मचारी के लिए प्रतिदिन एक अच्छा काम करके एक नायक की तरह महसूस कीजिए।

29. खुशी को ढूंढ़ना परछाई को पकड़ने या हवा का पीछा करने जैसा है।

30. प्रतिभा से धन कमा जा सकता है, लेकिन धन से प्रतिभा नहीं।      



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11 February 2015

स्वयं को व्यवस्थित करें


     अव्यवस्थित जीवन हमारे सामने कई मुश्किलें खड़ी कर देता है।  इनमें से एक मुश्किल यह है कि हमारा समय न चाहते हुए भी अनावश्यक रूप से बर्बाद होता है और दुःखद बात यह है कि हम खुद इस के लिए दोषी है है।

     इसलिए समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग का यह सिद्धांत है - खुद को व्यवस्थित करिए।

     अव्यवस्था का सबसे आम उदाहरण है किसी काग़ज़ या फाइल का न मिलना।  अनुमान है कि ऑफिस में काम करने वाले लोग किसी कागज़ या फाइल को खोजने में हर दिन लगभग ३० मिनिट बर्बाद करते है।  आलस या जबरदस्ती के कारण हम किसी चीज़ को सही जगह पर नही रखते और फिर उसे खोजने में ऑफिस या घर को अस्त-व्यस्त कर देते है।  अंत में हमें किसी ऐसी जगह पर मिलती है, जहा उसे रखा ही नहीं जाना चाहिए था।

     अव्यवस्था का और एक रूप है बीमारी।  असंतुलन भोजन, अनियमित नींद, चिंता, तनाव और हानिकारक आदतों की वजह से अक्सर हम खुद ही बीमारी को आमंत्रित करते है।  समय का सर्वश्रेठ उपयोग करने केलिए हमें व्यवस्थित जीवन जीना चाहिए, ताकि बीमारी हमसे दूर ही रहे।  हमें यह याद रखना चाहिए कि बीमारी की वजह से हमारे कई दिन बर्बाद हो सकते है, क्योंकि इस दौरान हम कोई रचनात्मक या चुनौतीपूर्ण कार्य करने की स्थिति में नही होते है।  बीमारी की वजह से समय की बर्बादी दुःखद है, क्योंकि संतुलन आहार या नियमित व्यायाम द्वारा अधिकांश बीमारियों से बचा जा सकता है।

     अव्यवस्था का एक और रूप है आवश्यकता से अधिक या कम भोजन करना।  अधिक भोजन करने के बाद हम सुस्त पद जाते है, हमारी एकाग्रता और ऊर्जा में कमी आ जाती है, जिस वजह से हमारा काम अच्छी तरह से नही हो पाता है।  दूसरी तरफ, जरुरत से कम भोजन करना भी ठीक नही है, क्योंकि ऐसा करने पर हमें कमज़ोरी या सिरदर्द होने लगता है, हम जल्दी थक जाते है, चिड़चिड़े हो जाते है, और इस वजह से अपने काम को पूरी एकाग्रता या शक्ति से नही कर पाते है।

     अव्यवस्था का एक और रूप है अनावश्यक चर्चा, चाहे वह चर्चा प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष ( जैसे की फोन पर ) ।  फोन पर चर्चा करने से पहले यदि हमारे पास आवश्यक बातों की बिंदुवार योजना हो, तो चर्चा सार्थक होती है।  परन्तु अगर हम फोन पर गैर-जरुरी बाते करते रहे और जरुरी बाते भूल जाए, तो निशचित रूप से यह लापरवाही का सूचक और समय की बर्बादी का उदहारण है।         

          अव्यवस्था का एक और सादा उदाहरण है बिना appointment लिए किसी से मिलने चले जाना।  यदि अपने appointment नही लिया है, तो हो सकता है की आपका समय बर्बाद हो।  यह भी होसकता है कि सामने वाला आपसे मिले ही नही और आपके आने-जाने का पूरा समय बर्बाद हो जाये।

     यह भी ध्यान रखे कि अगर आपकी दिनचर्या व्यवस्थित है तो आपका जीवन भी व्यवस्थित होगा और जब आपका जीवन व्यवस्थित होगा तो आप सहजता से समय का सर्वश्रेष्ठ उपयोग कर पायेंगे।     
    

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7 February 2015

टाइम टेबल बनाइये।



हमारे पास समय की सबसे ज्यादा कमी होती है, लेकिन इसी का हम सबसे ज्यादा दुरूपयोग करते हैं।
                                                                                                             
     जिस तरह पैसे की बर्बादी को रोकने के लिए बजट बनाना जरुरी है, उसी तरह समय की बर्बादी को रोकने केलिए टाइम टेबल बनाना जरुरी है।

     इसलिए समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग का सिद्धांत है :- टाइम टेबल बनाएँ।

आपका टाइम टेबल २ तरह का हो सकता है :-
१. पूर्ण टाइम टेबल
२. संक्षिप्त टाइम टेबल

पूर्ण टाइम टेबल :-

     पूर्ण टाइम टेबल में आप पुरे २४ घंटे की योजना बनाते है, जबकि संक्षिप्त टाइम टेबल में आप सिर्फ सीमित समय की योजना बनाते हैं।

आइये, पूर्ण टाइम टेबल का example देखें  :-

८ घंटे :-  नींद और स्नान में जाता है।
२ घंटे :-  नास्ता, lunch, dinner, चाय-कॉफ़ी etc. में जाता है।
२ घंटे :- अख़बार,t.v, सीरियल, न्यूज़,पुस्तकें में जाता है।        
१ घंटा :- ऑफिस आना जाना, यात्रा में लगता है
१ घंटा :- सामाजिक जीवन में जाता है।
२ घंटा :- पारिवारिक जीवन में जाता है।
८ घंटा :- कामकाज, नौकरी या बिज़नेस में जाता है।  

संक्षिप्त टाइम टेबल :-

     संक्षिप्त टाइम टेबल में आप पूरे दिन की योजना नही बनाते, सिर्फ अपने कामकाज़ या बिज़नेस के घंटो की योजना बनाते है।  मान लीजिए कि आप हर दिन ८ घंटे काम करना चाहते है।  इस स्थिति में आप ख़ुद से कहते है, 'मै सुबह ९ बजे से दोपहर १ बजे तक और २ बजे से शाम ६ बजे तक काम करुँगी/करूँगा।    

     आपके टाइम टेबल में बाकी कामों की कोई योजना नहीं होती।  इसमें सिर्फ आपके काम के समय की योजना होती है।  यदि किसी दिन या किसी सप्ताह आपके पास जरूरत से ज्यादा काम होता है, तो उसे पूरा करने केलिए आप अपने टाइम टेबल में एक-दो घंटे का समय बढ़ा लेते है।  ऐसी स्थिति में आप खुद से कहते है, ' मै सुबह ९ बजे से दोपहर १ बजे तक और दोपहर २ बजे से शाम को ७ या ८ बजे तक काम काम करूँगा/करुँगी।

     संक्षिप्त टाइम टेबल बनाना और उसका पालन करना आसान है या शुरुवात में अच्छा है।  यह व्यवसायिक लक्ष्य हासिल करने का बेहतरीन तरीका है।   फिलाल, इस बात का ध्यान रखें कि संक्षिप्त टाइम टेबल आपको सिर्फ  एक दिशा में सफ़लता दिलाता है, जबकि पूर्ण टाइम टेबल जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाता है क्योकि वह संतुलन और संपूर्ण होता है।

                                      " सारा समय-प्रबंधन योजना से शुरू होता है।"
                                                                      - टॉम ग्रीनिंग         



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