हमे कर्मों का नही बल्कि भावों का फल मिलता हैं।
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मित्रों इस कहानी से तात्पर्य ये हैं कि भगवान हमें कर्मो का नही बल्कि भावों का फल देते हैं। कर्म तो मात्र फल तक पंहुचने का एक साधन हैं।
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Tuesday, September 08, 2015 |
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Friday, September 04, 2015 |
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Saturday, August 15, 2015 |
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Monday, July 06, 2015 |
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Tuesday, June 30, 2015 |
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Thursday, June 25, 2015 |
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Saturday, June 20, 2015 |
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Wednesday, May 13, 2015 |
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Tuesday, May 12, 2015 |
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Wednesday, April 22, 2015 |
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Wednesday, April 15, 2015 |
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अब अगर इतने सरे लोगों की सोंच इतनी छोटी है, तो इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप सचमुच बड़ा सोचते है तो आपके सामने बहुत कम प्रतियोगिता है और आपके लिए एक बहुत बड़े करियर का रास्ता खुला है।
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Saturday, April 11, 2015 |
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यहाँ एक मनो वैज्ञानिक सिद्धांत दिया जा रहा है जो 25 बार पढ़ने लायक है। इसे तब तक पढ़ते रहे, जब तक कि यह आपके दिमाग़ में पूरी तरह से न घुस जाए :- विशवास पूर्ण चिंतन के लिए विशवास पूर्ण काम करें।
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Friday, April 10, 2015 |
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हम में से हर एक व्यक्ति में सही होने, सही सोचने और सही काम करने की इच्छा होती है। जब हम इस इच्छा के विपरीत व्यवहार करते है तो हम अपनी अंतरात्मा में कैंसर की बीमारी आमंत्रित कर लेते है। यह कैंसर बढ़ता है और हमारे आत्म विशवास को कम करता जाता है। इसलिए इस तरह कोई काम न करें, जिसे करने के बाद आपको यह दर सताने लगे, "क्या मै पकड़ा जाऊँगा ? क्या लोगों को इस बात का पता चल जाएगा ? क्या मै बचने में सफ़ल हो पाउँगा ?"
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Thursday, April 09, 2015 |
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Wednesday, April 08, 2015 |
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1. सफ़लता की बात सोचें, असफ़लता की बात न सोचें। नौकरी में, घर में, असफ़लता की जगह सफ़लता के बारे में सोचें। जब आपके सामने कोई कठीन परिस्थिति आए, तो सोचें "मै जीत जाऊँगा," यह न सोचें "शायद मै हार जाऊँगा।" जब आप किसी से प्रतियोगिता करें, तो सोचें, "मै उसके जितना योग्य नहीं हू।" जब अवसर नज़र आए, तो सोचें "मै यह कर सकता हू," यह न सोचें "मै इसे नही कर सकता।" अपनी चिंतन प्रक्रिया पर इस विचार को हावी हो जाने दें, "मै सफ़ल होकर दिखाऊँगा।" सफ़लता के बारे में सोचने से आपका दिमाग़ ऐसी योजना बना लेता है जिससे आपको सफ़लता मिलती है। असफ़लता के बारे में चिंतन करने से आपका दिमाग़ ऐसे विचार सोचता है, जिन से आपको असफ़लता हाथ लगती है।
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Wednesday, April 01, 2015 |
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T.V. के कारण आज जितना समय बर्बाद हो रहा है, उतना इतिहास में कभी किसी दूसरी वजह से नहीं हुआ - वैसे facebook भी बहुत तेज़ी से इस श्रेणी में आता जा रहा है। T.V. के कई दुष्प्रभाव होते है, लेकिन हम यहाँ पर केवल समय की बर्बादी के बारे में बात करेंगे। एक survey में यह पाया गया कि लोग हर सप्ताह लगभग 17 घंटे tv देखते है यानी लगभग ढ़ाई घंटे प्रति दिन। इसका मतलब है कि लोग हर दिन अपने पास उपलब्ध सक्रिय समय का 20% हिस्सा टी.वी देखने में गवा रहे है।