अगले दिन की योजना बनाकर अवचेतन मन की शक्ति का लाभ लीजिए।
आदर्श स्थिति तो यह रहती है कि आप अगले दिन की योजना एक दिन पहले रात को बना लीजिए। एक दिन पहले योजना बनाने का लाभ यह होता है कि आपको अवचेतन मन की शक्ति का लाभ मिल जाता है। यह साबित हो कि हमारे भीतर दो मन होते है : - चेतन मन और अवचेतन मन। चेतन मन यानि वह मस्तिष्क, जो सोचता है और जिसके बारे में हम जागरूप होते है। दूसरी ओर, हमारे भीतर एक अवचेतन मन भी होता है, जो हमें दिखाई तो नहीं देता है, लेकिन यह हमें जल्दी से और सही तरीक़े से काम पूरा करने के नए-नए तरीक़े सुझा सकता है।
क्या कभी ऐसा हुआ था कि रात को आपको सोचने पर भी किसी सवाल का जवाब याद नहीं आ रहा था, लेकिन सुबह होते ही आपको अपने आप जवाब मिल गया, बिना सोचें हुए सब कुछ सही हो गया ? ऐसा आपको अवचेतन मन के कारण हुआ था। जब रात को आप और आपका चेतन मन दोनों ही सो रहे थे, तो अवचेतन मन ने उस समस्या पर काम किया और सुबह होते ही जवाब आपके सामने पेश कर दिया। यह चेतन मन के लिए मुश्किल कामों की ऑउटसोर्सिंग की तरह है। जो काम चेतन मन केलिए मुश्किल है, उन्हें आपका अवचेतन मन चुटकियों में कर सकता है, इसलिए अवचेतन मन की शक्ति का लाभ लें और एक रात पहले ही अगले दिन की योजना बना लीजिए।
यदि आप वास्तव में समय प्रबंधन करना चाहते है, तो आपको केवल चेतन मन का नहीं, बल्कि अवचेतन मन का भी इस्तेमाल करना होगा। यदि आपको ऐसे नए-नए तरीक़े सुझाएगा, जिनकी बदौलत आप कम समय से ज्यादा काम करने के उपाय खोजने में क़ामयाब होंगे। एक रात पहले योजना बनाने से यह लाभ होता है कि रात भर में आपकी कार्यसूची आपके अवचेतन मन में समा जाती है। अगले दिन आपको अपने आप सही क्रम सूझ जाता है और आप खुदबखुद कार्यसूची के मुताबिक काम करने लगते है। हो सकता है कि आपको काम करने का नया तरीका भी सूझ जाए।
कई बार तो काम इसलिए अधूरा छूट जाता है, क्योंकि हम काम के नहीं, समय के संदर्भ में सोचते हैं। जैसे, मै यह काम एक घंटा तक करूँगा। इससे बेहतर तरीका यह है, मै इस काम का यह हिस्सा एक घंटे में पूरा करूँगा। अब अगर वह हिस्सा सवा घंटे में निबटता ( पूरा होता ) है, तो सवा घंटा एक काम करिए। सिर्फ समय भरने केलिए काम करने के बारे में न सोचें, काम पूरा निबटाने के बारे में सोचिए।
इसका एक उदाहरण देखिए -
एक विद्यार्थी सोचता है, मैं एक घंटे तक maths पढूंगा। दूसरा विद्यार्थी सोचता है, मै सवाल करूँगा। अब आप ही सोचिए, किसकी प्रगति ज्यादा होगी ? दूसरे विद्यार्थी की। इसलिए, क्योंकि उसने काम का स्पष्ट लक्ष्य बनाया था। तो आप भी इस विद्यार्थी की तरह काम का स्पष्ट लक्ष्य बनाइए और सफ़लता हासिल कर लीजिए।
सफ़लता का सूत्र सरल है : - सही काम करे, सही तरीक़े से करें, सही समय पर करें।
- अरनॉल्ड एच. ग्लासगो
!!! ALL THE BEST !!!
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avchetan man ki shakti par ek behtrin post thanks for sharing
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